बातूनी कछुवा
एक कछुवा था | वह बहुत बातूनी था | दिन भर ही रहता था | केकड़ा मिला तो उसे रोक लिया |मछली मिली तो उसी से बोलने लगा | मछली ने कहा ,"मुझे बहुत काम करने हैं | तू भी कोई काम कर ले |" कछुवे ने कहा,"बोलना ही मेरा काम है |" सामने तालाब में दो सारस खड़े थे |कछुवा उनके पास पहुंच गया | बोला,"भाइयो ,तुम लोग कल कहाँ थे?" एक सारस ने बताया,"हम दूसरा तालाब ढूँढ़ने गए थे | यह तालाब सूखनेवाला है|" कछुवे ने कहा,"तुम कैसे जान गए कि यह तालाब सूखनेवाला है?"दूसरे सारस ने कहा,"इस साल कम पानी बरसा है| इसलिये तालाब सूख जाएगा |" क्छुवे ने कहा,"तालाब सूख जएगा तो मैं कहाँ जाऊँगा?|" सारसों ने कहा ,"हम तुम को बचा सकते हैं | यह डंडा मुन्ह में दबा लो | हम तुम को लेकर उड़ जाएंगे |पर कहीं भी मुन्ह मत खोलना,नहीं तो गिर पड़ोगे |" कछवा गया| सारस उसे लेकर उड़े | एक मैदान में लड़के खेल रहे थे | कछुवे की लटकता देखकर एक बोला,"देखो देखो ,कछुवा |" दूसरे ने कहा,"यह कछुवा नीचे गिर पड़गा |" कछुवे ने सुना |उसने कहना चाहा,"मैं नहीं गिरुंगा | मैने डंडे को कसकर पकड़ रखा है |" पर बोलने के लिए मुँह खोलते ही बेचारा नीचे गिर पड़ा |कछुवा भूसे के ढेर पर गिरा | चोट अधिक नहीं आई | लड़कों ने उसे उठाया और पास के तालाब में डाल दिया| कछुवा बोला ,"आज से मैं कम बोलूँगा..." |
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沙发#
发布于:2009-05-19 11:17
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